हमारी नींद और उदासी पर बाज़ार का पहरा हमारी नींद और उदासी पर बाज़ार का पहरा
कहीं आतंक का साया,कहीं भूख की है छाया हमारा दिल रोता उनके अच्छे के लिए हरदम, हम मानत कहीं आतंक का साया,कहीं भूख की है छाया हमारा दिल रोता उनके अच्छे के लिए हरदम, ...
हमारी जरूरतों के साथ बाज़ार भी बढ़ता गया हमारी जरूरतों के साथ बाज़ार भी बढ़ता गया
जन-वितरण का आर्थिक कारक तो अति विशिष्ट है, जन-वितरण का आर्थिक कारक तो अति विशिष्ट है,
हम भारतीय हैं साहब एक से मिले एक तो ग्यारह होते हैं। हम भारतीय हैं साहब एक से मिले एक तो ग्यारह होते हैं।
रहें हिफाजत मेरे देश की, इस जान की परवाह नहीं रहें हिफाजत मेरे देश की, इस जान की परवाह नहीं